वांछित मन्त्र चुनें

नू नो॑ र॒यिं म॒हामि॑न्दो॒ऽस्मभ्यं॑ सोम वि॒श्वत॑: । आ प॑वस्व सह॒स्रिण॑म् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

nū no rayim mahām indo smabhyaṁ soma viśvataḥ | ā pavasva sahasriṇam ||

पद पाठ

नु । नः॒ । र॒यिम् । म॒हाम् । इ॒न्दो॒ इति॑ । अ॒स्मभ्य॑म् । सो॒म॒ । वि॒श्वतः॑ । आ । प॒व॒स्व॒ । स॒ह॒स्रिण॑म् ॥ ९.४०.३

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:40» मन्त्र:3 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:30» मन्त्र:3 | मण्डल:9» अनुवाक:2» मन्त्र:3


बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्दो) हे परमैश्वर्यसम्पन्न परमात्मन् ! (सोम) हे सौम्य स्वभाववाले (नः) हमारे लिये (नु) निश्चय करके (विश्वतः) सब ओर से (सहस्रिणम्) अनेक प्रकार के (महाम्) बड़े (रयिम्) ऐश्वर्य को (आपवस्व) दीजिये ॥३॥
भावार्थभाषाः - सत्कर्मी पुरुष भी जब तक परमात्मा से अपने ऐश्वर्य की वृद्धि की प्रार्थना नहीं करते, तब तक उनका अभ्युदय नहीं होता। यद्यपि अभ्युदय पूर्वकृत शुभकर्मों का फल है, तथापि जब तक मनुष्य का अभ्युदयशाली शील नहीं बनता, तब तक वह अभ्युदय को कदाचित् भी नहीं चाहता, इसलिये अभ्युदयशाली शील बनाने के लिये अभ्युदय की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिये ॥३॥
बार पढ़ा गया

आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्दो) हे परमैश्वर्यसम्पन्न परमात्मन् ! (सोम) हे सौम्य ! (नः) अस्मभ्यं (नु) ध्रुवं (विश्वतः) सर्वतः (सहस्रिणम्) विविधं (महाम्) महत् (रयिम्) ऐश्वर्यं (आपवस्व) देहि ॥३॥